प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कोई सबूत नहीं, अभी ट्रायल के रूप में ही करें इस्तेमाल : स्वास्थ्य मंत्रालय
देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह साफ कर दिया है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के इलाज का अभी तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि इसे लेकर सभी दावे गलत हैं और अभी भी हम एक्सपेरिमेंटल स्टेज पर ही हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईसीएमआर) का हवाला देते हुए बताया कि कोरोना का प्लाज्मा थेरेपी के जरिए इलाज नहीं किया जा सकता। इसे आईसीएमआर की ओर से मंजूर नहीं किया गया है। इसे अभी केवल ट्रायल और रिसर्च के रूप में ही आजमाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जारी गाइडलाइंस को ठीक से पालन नहीं किया गया तो यह खतरनाक भी हो सकता है। आईसीएमआर ने इस पर अध्ययन शुरू किया है। तब तक इसको लेकर किसी भी प्रकार का दावा नहीं किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य व गृह मंत्रालय की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में आज कोरोना वायरस को लेकर नए आंकड़े जारी किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1543 नए मामले सामने आए हैं। इस मामले में रिकवरी रेट 23.3 फीसदी है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
प्लाज्मा थेरेपी एक पुरानी तकनीक है। जब दुनिया में स्पैनिश फ्लू फैला था तब इसका इस्तेमाल काफी कारगर साबित हुआ था। इस थेरेपी से ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्लाज्मा लेकर बीमार लोगों को चढ़ाया जाता है। ठीक हो चुके मरीजों के एंटीबॉडी से बीमार लोगों को रिकवरी में मदद मिलती है। इससे मरीज के शरीर में वायरस कमजोर पड़ने लगता है।