ऑनलाइन शिक्षा : 80 फीसदी स्कूल जुटे पर 30 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ पा रहे

ऑनलाइन शिक्षा : 80 फीसदी स्कूल जुटे पर 30 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ पा रहे


भिवानी: कोरोना के चलते जब से लॉकडाउन हुआ है शिक्षा के मायने भी बदल गए हैं। शिक्षा विभाग ने इसके लिए सार्थक प्रयास भी किए हैं। लेकिन प्रत्येक बच्चे तक आनलाइन शिक्षा पहुंचा पाना अभी तक टेढी खीर बना है। सरकारी और प्राइवेट स्कूलों ने इसे अपनाया है। कई स्कूल बेहतर भी कर रहे हैं पर सरकारी स्कूलों में आनलाइन शिक्षा पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रही है।


 इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में ज्यादातर गरीब बच्चे पढ़ते हैं जिनके पास उनके परिवार में एंड्रायड फोन की सुविधा या तो है नहीं और है भी तो बहुत कम। खुद शिक्षा विभाग के अधिकारी और अध्यापक मानते हैं कि 80 फीसदी से ज्यादा स्कूल इसके लिए भरसक प्रयासरत हैं लेकिन इतना सब करने के बाद भी मुश्किल से 25 से 30 फीसदी बच्चों तक ही आनलाइन शिक्षा पहुंच पा रही है। 


ऑनलाइन शिक्षा के लिए अपनाए हैं तीन तरीके


शिक्षा विभाग ने आनलाइन पढ़ाने के लिए यू ट्यूब, फेसबुक, वाट्सएप तीन तरीके अपनाए हैं। इनमें यू ट्यूब और वाट्सएप को ज्यादा अपनाया जा रहा है। इसके अलावा जूम एप को भी अपनाया जा रहा है। इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। सभी तरह की लेटेस्ट जोब्स अपडेट, शैक्षणिक खबरों के लिए "हरियाणा एजुकेशनल अपडेट" फेसबुक पेज ज्वाइन करें।


अध्यापकों का कहना है कि वे तकनीक के जानकार नहीं है। इसके लिए विभाग ही कोई ठोस प्रबंध करे।


 एंड्रायड फोन और चैनलों के माध्यम से शिक्षण के बारे में अध्यापकों के मंथन में यह सामने आया


1 क्लास रूम शिक्षण का दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता। लेकिन ऐसे हालात में आनलाइन पढ़ाई ना से तो ठीक कही जाएगी।


2. क्लास रूम में अध्यापक छात्र के सीधे संवाद के बिना वांछित परिणाम नहीं आ सकते। फिर भी कुछ छात्र फॉलो कर पा रहे हैं तो भी हमें करना चाहिए।


3. बहुत से अध्यापकों ने बताया कि अनेक स्कूलों के 80 फीसदी छात्रों के परिवारों के पास एंड्रॉयड फोन ही नहीं है।


4. सरकार को सार्वजनिक शिक्षा तंत्र को अधिक मजबूत करना चाहिए।


5. दाखिलों का रुझान हमने प्राइवेट स्कूलों से राजकीय स्कूलों की तरफ मोड़ने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।


5. देश के किसी भी युवा का यह स्वपन नहीं है कि वह प्राइवेट स्कूल का अध्यापक बने।


6. शिक्षा का प्राइवेट तंत्र देश के युवाओं को रोजगार देने में विफल ही कहा जाएगा।


7. वर्तमान हालात में जो कुछ भी छात्र हित में कर सकते हैं उसका पूरा प्रयास हमें करना है।


पहल अच्छी पर सुधार की जरूरत : वीसी


कोरोना के चलते आनलाइन को एकाएक बड़े स्तर पर अपनाया गया है। यह अच्छी पहल है पर इसमें अभी और सुधार की जरूरत है। विश्वविद्यालय स्तर पर यह 80 फीसदी से ज्यादा तो कालेज स्तर पर यह 70 फीसदी तक कामयाब है। ग्रामीण इलाकों में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है। इसमें और ज्यादा सुधार के लिए सबसे पहले शिक्षक पूरी तरह से तैयार हों, सभी बच्चों को आनलाइन जोड़ना सुनश्चित किया जाए। आइटी इंफ्रास्ट्रैक्टचर को और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है। इसके परिणाम सार्थक आएंगे-प्रो. आरके मित्तल, कुलपति चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय
भिवानी।