यूपी में  अब सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए कराना होगा ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन

 यूपी में  अब सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए कराना होगा ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन


■घरेलू और किसानों को नहीं देना होगा कोई शुल्क
■रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा जरूरी


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इसमें गिरते भू-जल स्तर को सुधारने के लिए भूजल अधिनियम 2020 पर मुहर लगाई गई. भूजल अधिनियम के तहत सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा. ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा है. घरेलू और किसानों को कोई शुल्क नहीं देना होगा. इसके साथ ही सभी निजी और सरकारी स्कूलों, कालेजों के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी अनिवार्य किया गया है.


कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह और महेंद्र सिंह ने कहा कि शहरी क्षेत्र में 300 वर्गमीटर से बड़ा घर बनाने के लिए मकान मालिक अगर सबमर्सिबल पंप लगाता है तो इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी होगा.


*कंपनियों को भी कराना होगा पंजीकरण*


बोरिंग करने वाली कंपनियों को भी अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा. हर तीन महीने सारी जानकारी उन्हें देनी होगी. इसका मकसद भू-जल स्तर में सुधार लाना है. सरकारी और निजी भवनों का नक्शा तभी पास होगा, जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का प्रावधान होगा. इसके लिए एक साल का मौका दिया गया है. इस दौरान पंजीकरण करवाना होगा.


*भूजल प्रदूषित करने वाले को सजा और जुर्माना*


इसके लिए ग्राम पंचायत से लेकर प्रदेश स्तर की कमेटी बनाई गई है. इसके साथ अगर कोई बोरिंग कर के पाइप के माध्यम से भू-जल को प्रदूषित करता है तो उसके खिलाफ सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.


ग्रामीण पेयजल विभाग की धनराशि स्वीकृति के कार्यो में संशोधन किया गया है. जलशक्ति विभाग के बनने के बाद कैबिनेट ने यह फैसला लिया है. अब राज्य पेयजल और स्वच्छता मिशन के निदेशक द्वारा धनराशि स्वीकृत की जाएगी. ग्रामीण पेयजल कार्यो की स्वीकृति अब राज्य समिति द्वारा की जाएगी.


यह है जुर्माना


कैबिनेट ने भू-जल स्तर को दूषित करने वालों के विरुद्ध सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया है. इसके तहत भू-जल स्तर को प्रदूषित करते हुए अगर कोई व्यक्ति पहली बार पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ 6 माह से लेकर 1 साल तक सजा का प्रावधान होगा.


इसके साथ ही उसे 2 लाख से 5 लाख रुपए का आर्थिक दंड भी देना होगा. अगर दूसरी बार पकड़ा जाता है तो 5 लाख से 10 लाख रुपए का आर्थिक दंड और 2 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक सजा होगी. इसी तरह अगर तीसरी बार व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसे 5 वर्ष से 7 वर्ष तक सजा और 10 लाख से लेकर 20 लाख रुपए तक आर्थिक दंड लगेगा.


*इनके खिलाफ थी शिकायत*


फिरोजाबाद के जिले में तत्कालीन तहसीलदार शिवदयाल ने 0.691 हेक्टेयर भूमि को नियम विरुद्ध कुछ लोगों को दे दी थी. बैठक में तय हुआ कि इनसे जमीन की कीमत 1.50 करोड़ की वसूली की जाएगी.


सोनभद्र के ओबरा को नई तहसील बनाया गया है. अब सोनभद्र जिले में चार तहसील हो गई है. इसका मुख्यालय मारकुंडी होगा. उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड को हरदोई में आवास विकास प्राधिकरण की तरफ से 22.60 हेक्टेयर जमीन साल 2015 में दी गई थी.


2016 में शासनादेश के अनुसार इसके लिए 123.16 करोड़ रुपए देने थे. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह जमीन वापस की जाएगी. 2016 के शासनादेश को निरस्त किया गया है.


*50 फीसदी भर्ती लोकसेवा आयोग से होगी*


प्रदेश में 18 व्यवस्था अधिकारी और 22 व्यवस्थापक हैं. इनका चयन 1983 में बनी नियमावली के अधीन हुआ था. इसमें अब संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य संपत्ति विभाग व्यवस्थापक एवं व्यवस्था अधिकारी सेवा नियमावली 2020 बनाई गई है. अब भर्ती शत-प्रतिशत लोकसेवा आयोग के माध्यम से होगी.


व्यवस्था अधिकारी के लिए 50 फीसदी भर्ती लोकसेवा आयोग से होगी और 50 फीसदी पदों को पदोन्नित द्वारा भरा जाएगा.


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