सोशल मीडिया पर भड़काया तो आजीवन कैद तक की सजा
अगर कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह की वजह से आईटी एक्ट 2000, आईटी एक्ट 2008 (एमेंडमेंट) के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसमें पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है |
कौन-कौनसे मामले इसके अंतर्गत आते हैं ?
अफवाह फैलाने/ फेक न्यूज़ के मामले, यानि की जो तथ्य या घटना है ही नहीं, जो असत्य है। उसे समाज में सोशल मीडिया के माध्यम जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, टिक टॉक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, अन्य मैसेजिंग एप्स आदि से सरकार की नीति-नियमों को तोड़ –-मरोड़कर पेश करना।
अशांति फैलाने के उद्देश्य से किए गए मैसेजेस/ वीडियो सन्देश/फोटोग्राफ़ , ऑडियो मैसेजेस , चैट्स, ईमेल आदि को फैलाना शामिल है।
कौन कौन से एक्ट के तहत दर्ज होगी FIR ?
डाटा या आंकड़ों को गलत तरीके से पेश करना-धारा 71
आपसी विश्वास और निजता को भंग करने से संबंधित प्रावधान-धारा 72 ए
आपत्तिजनक सूचनाओं के प्रकाशन से जुड़े प्रावधान-धारा 67
किसी की निजता भंग करने के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 ई
साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान-धारा 66 एफ
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 और आईपीसी (IPC) की धारा-505