अखिलेश यादव ने योगी सरकार से पूछे कई सवाल, कहा कोरोनाकाल मिलने में सभी दावे फेल
समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोनाकाल में केंद्र व प्रदेश सरकार के दावे धरातल में फेल हो गए हैं। अखिलेश ने योगी सरकार से कई सवालों के उत्तर भी पूछे हैं। लॉकडाउन से जनजीवन अस्त व्यस्त है। स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि प्रदेश में स्थिति बहुत खराब है। ऐसी स्थिति में सरकार से कुछ सवाल अवश्य पूछे जाएंगे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के फलस्वरूप अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर प्रदेश आए हैं। बड़ी संख्या में ये श्रमिक हैं जो दूसरे प्रदेशों में कार्यरत थे। वहां से चलते समय उन्हें मजदूरी भी नहीं मिली है। आज भी वे तमाम परेशानियां झेल रहे हैं। उनके उपचार की प्रदेश में कोई सुनियोजित व्यवस्था नहीं है। इनकी जांच भी नहीं हो रही है।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि रोजी-रोटी की विषम समस्या से जूझ रहे श्रमिकों को मनरेगा में भी काम नहीं मिल रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में लॉकडाउन की वजह से उद्योगों पर ताले लगे हैं। रोज कमाकर गुजारा करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों का जीना मुहाल है। अभी तक उनको मदद नहीं मिल पाई है। राशन कम या खराब मिलने की आम शिकायते हैं।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि गेहूं क्रय केंद्र कागजों में खुले हैं। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है। मजबूरी में औने पौने दाम पर फसल बेचने को वह मजबूर है। गन्ना किसानों का लंबित बकाया अभी तक नहीं मिल पाया है। किसानों को बे-मौसम बरसात और ओलावृष्टि से हुई फसल की क्षति का भी मुआवजा नहीं मिल रहा है।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि देश में सिर्फ कोरोना वायरस के ही संक्रमण का खतरा नहीं है। तमाम लोगों को दिल, किडनी, कैंसर, लिवर जैसी गंभीर बीमारियां हैं। ब्लडप्रेशर और डायबिटीज के मरीज भी परेशान हैं। अस्पतालों में ओपीडी बंद हैं, आपरेशन स्थगित हैं। गरीबों-मजबूरों को राहत के नाम पर राशन दिए जाने का खूब प्रचार हुआ है, लेकिन राशन दुकानदार मनमानी कर रहे हैं। घटतौली या दुकान बंद रहने की आए दिन शिकायतें आ रही हैं। जो बिना राशनकार्ड वाले हैं उनको तो कोई पूछ ही नहीं रहा है। कोटेदार उन्हें दुत्कार रहे हैं।पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि पंचायती राज दिवस पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश केवल रस्म अदायगी भर था। भारत को सशक्त बनाना है तो गांवों को संसाधन सम्पन्न बनाने का संकल्प लेना होगा। भाजपा तो गांव-खेती नहीं बड़े उद्योगों के सहारे 'वाइब्रेंट इंडिया' के सपने देखती है।