नावेल कोरोनावायरस रोग (COVID 19): एहतियात से परे जानकारी !
(निम्न सवालों की तथ्यात्मक एवं वैज्ञानिक जानकारी के लिए इस आलेख को पढ़े एवं घर/आसपास में किसी अन्य व्यक्ति जो पढ़ नहीं सकता उसको समुचित दुरी बनाते हुए अपनी भाषा में समझाये)
क्यों कहा जाता हे इसको कोरोना ?
कैसे एवं आज तक कितना फैला हे इसका कहर?
कैसे की जाती हे कोरोना पॉजिटिव रोगी के पहचान /जांच?
अभी तक कोरोना का क्यों नहीं हे इलाज?
वैज्ञानिक कोनसी दवाई/टीके का कर रहहे परीक्षण?
कोरोना मानव शरीर की कोशिका में कैसे प्रवेश करता हे?
COVID -19 के उपचार के लिए विश्व में दवाएं क्यों नहीं हैं और उन्हें विकसित करने में कितना समय लगेगा?
दवाई/टीके विकसित करने तक अपनों को व दुसरो को कोरोना वायरस से कैसे बचायें?
जब दुनिया 2019 के आखिरी दिन, नव वर्ष 2020 का स्वागत करने की तैयारी कर रही थी, तो चीन ने हुबेई के वुहान शहर में “हुआन सीफूड और पोल्ट्री होलसेल मार्केट” से जुड़े असामान्य निमोनिया के मामलों की एक क्लस्टर रिपोर्ट जारी की। एक सप्ताह बाद (7 जनवरी, 2020 को) चीन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने घोषणा की कि निमोनिया के मामलों का समूह एक नए वायरस से जुड़ा है, जिसे बाद में 2019-nCoV या नावेल कोरोनावायरस नाम दिया गया तथा इससे फैलने वाली बीमारी को COVID 19 या कोरोनावायरस बीमारी कहा गया।
नावेल कोरोना वायरस के कारण पहली ज्ञात मृत्यु 11 जनवरी, 2020 को चीन में हुई थी। तत्पश्चात, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 30 जनवरी 2020 को COVID -19 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की अंतर्राष्ट्रीय चिंता (PHEIC) के रूप में घोषित किया। WHO के अनुसार आज 26 मार्च 2020 तक यह बीमारी विश्व के 197 देशो / क्षेत्रों में फ़ैल चुकी हे| इन देशो में अब तक 416686 लोग इस बीमारी से ग्रसित हुए हे एवं 18589 लोगों की मौत हो चुकी हे|
COVID – 19 मामलों की संख्या के संबंध में, सर्वाधिक प्रभावित देशो में चीन, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, ईरान, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, स्विटजरलैंड और यूनाइटेड किंगडम, सबसे प्रमुख हैं। भारत में इस बीमारी का पहला केस 30 जनवरी को दर्ज किया गया| आज केसो की संख्या 606 हो गयी हे तथा करीब 11 लोगो की इस बीमारी से मौत हो चुकी हे| अन्य विकसित देशो से तुलनातमक रूप में भारत पर इसका प्रकोप बहुत कम हुआ हे लेकिन इसके तेजी से फैलाव को देखते हुए भारत सरकार ने आवश्यक सेवाओं को छोड़कर पुरे देश में 21 दिनों तक लॉक डाउन (बंद) की घोषणा कर दी हे|
2019-nCoV मानव कोशिकाओं में कैसे प्रवेश करता हे –
जर्नल “साइंस” में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, वायरस की ट्राईमेरिक स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन (देखें – चित्र), मानव कोशिकाओं पर कुंडी लगाता है, फिर यह प्रोटीन एक संरचनात्मक परिवर्तन से गुजरता है जो वायरस को कोशिका झिल्ली के साथ फ्यूज करने की अनुमति देता है। वायरल जीन फिर कॉपी किए जाने वाले होस्ट सेल (मानव कोशिका) में प्रवेश करते हैं।
मानव कोशिकाओं (आकार: 100000 नैनोमीटर) की तुलना में, कोरोना वायरस आकार बहुत छोटा (आकार: 70 – 80 नैनोमीटर) होता हैं और वे बिना किसी जीवित कोशिका के स्वयं से रेप्लिकेट (द्विगुणित) नहीं हो सकते। कोरोनावायरस में लगभग 30 प्रोटीन होते हैं, जबकि एक मानव कोशिका में 20,000 से अधिक प्रोटीन होते हैं। (प्रोटीन, कोशिकाओं में पाये जाने वाले एमिनो एसिड्स की शृंखला होती हे)| प्रोटीनो के इस सीमित सेट से वायरस बड़ी चतुराई से मानव कोशिका को अपने ही शरीर के खिलाफ कर लेता है।
सामान्य रूप से एक मानव कोशिका में किसी भी बाहरी आक्रमणकारियों (वायरस, बैक्टीरिया, फंगस आदि) के लिए सुरक्षाबद्ध तालों (प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहायड्रेट आदि) से बंद होते हैं, लेकिन कोरोनवायरस अपने स्वयं के प्रोटीन (जो एक कुंजी का काम करती हे) का उपयोग इन “तालों” को खोलने के लिए कर लेता हे जिससे यह मानव की कोशिकाओं में प्रवेश कर लेता हे|
एक बार अंदर जाने के बाद, वायरस के प्रोटीन मानव कोशिका के क्रियातंत्र (जो आम तौर पर अपने स्वयं के कार्यों के लिए उपयोग करती है) को अन्दर से अपहृत (हाईजैक) कर लेते हे|
अब वायरस से संक्रमित कोशिकाओं के ऊर्जा के संसाधन और यांत्रिकी हजारों – हजार वायरस उस कोशिका के अंदर पैदा करती हे अर्थात मानव कोशिका को कोरोनावायरस कारखाने में बदल देती है। जब इन संक्रमित मानव कोशिकाओं में ऊर्जा का सामान ख़त्म हो जाता हे तब मानव कोशिकाएं मरने लगती हे एवं वंहा पैदा हुए वायरस शरीर की अन्य कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हे जिससे और अधिक संक्रमण फैला सकें|
COVID 2019 के लक्षण –
WHO के अनुसार, COVID-19 के सबसे आम लक्षण बुखार, थकान और सूखी खांसी हैं। प्रारंभिक संक्रमणकाल के तीन से नो दिन बाद में रोगी के अंदर कोरोना वायरस के लक्षण (अभी तक के अधिकांश रोगियों के अनुसार – सुखी खांसी, छींक आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में हल्का दर्द, हल्का बुखार आदि) दिखायी देना शुरू होते हे|
चीन एवं अमेरिका के कोरोना वायरस से बीमार हुए लोगो के अध्ययन की रिपोर्ट जो की वैज्ञानिक पत्रिका “लैंसेट” और “न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन” में छपी हे, यह रिपोर्ट बताती है कि रोगियों को रोग के शुरुआती संकेत के लगभग एक सप्ताह बाद निमोनिया और डिस्नेपिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जो की हल्की खांसी, मायलगिया या थकान और निम्न-श्रेणी के आंतरायिक बुखार हैं।
कोरोना वायरस से फेफड़े की कोशिकाएं विशेष रूप से इसकी चपेट में आ जाती हैं क्योंकि वे ऐसे बाहरी आक्रमणकारियों (वायरस, बैक्टीरिया, फंगस आदि) के प्रवेश को रोकने के लिए “लॉक अर्थात ताला” प्रोटीन बनाती हे| लेकिन कोरोना वायरस की गोलाकार सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन (जो की क्राउन – ताज आकार जैसे दिखाई देते हे, जिसकेकारण इसको कोरोना नाम दिया गया) के माध्यम से कोरोना वायरस इन प्रोटीन को कुंजी की तरह उपयोग करती हैं तथा फेफड़ों की कोमल कोशिकाओं में आसानी से घुस जाती हे एवं बाद में इसके द्वारा पुरे शरीर में फैलने की सम्भावना रहती हे| फेफड़ो तक इसके आने का प्रमुख रास्ता नाक, आँख एवं गला होते हे (इसलिए मास्क एवं ग्लव्स पहनने, अन्य व्यक्ति से एक मीटर से अधिक दुरी बनाये रखने या घर से बहार न निकलने की सलाह दी जाती हे|
कोरोना वायरस बीमारी (COVID-19) से मरने वाले रोगी व्यक्तियो के फेफड़ों की कोशिकाओं में न्युमोनिआ की तरह फेफड़ो की कोशिकाओं के अधिक डैमेज होने के घातक लक्षण प्रतीत हुए हे।
#कोरोना वायरस से बीमार (कोरोना पॉजिटिव) मरीज को पहचानने की विधि –
(क) स्वैब, सीरम यूरिन एवं स्टूल के नमूनो का संग्रहण –
स्वैब – नासॉफिरिन्जियल (नाक) और ऑरोफरींजल (गले) से स्वाब नमूनों का संग्रह किया जाता हे। प्रत्येक स्वैब को तरल या जेली प्रकार के वायरल परिवहन मीडिया (जिसमे वायरस अपनी अवस्था में रह सकता हे) केस्टेराइल ट्यूब में संग्रहित किया जाता हे|
सीरम – रोगी के रक्त (3 – 5 मिलीलीटर) को एक सीरम विभाजक ट्यूब में एकत्र किया जाता है और फिर सेंट्रीफ्यूजेशन प्रक्रिया द्वारा सीरम को अलग किया जाता है।
इसी प्रकार स्टेराइल नमूना कंटेनरों में मूत्र और मल का भी संग्रह किया जाता हे।
संग्रहण पश्चात, इन नमूनों को परीक्षण प्रयोगशाला में शिपमेंट के लिए तैयार होने तक 2-4 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है। इस प्रकार रोगी के ठीक होने या बीमारी प्रोग्रेस तक विभिन्न अवस्थाओं में इन नमूनों को परिक्षण हेतु एकत्र किया जाता है।
(ख). एकत्र किए गए नमूनों का 2019-nCoV के लिए नैदानिक (डायग्नोस्टिक) परीक्षण –
नावेल कोरोना वायरस से व्यक्ति ग्रसित हे या नहीं इसके लिए – आणविक परख (मॉलिक्यूलर ऐसे), आरआरटी-पीसीआर (वास्तविक समय – रिवर्स प्रतिलेखन पोलीमरेज़ श्रृंखला प्रतिक्रिया) या आरटी-पीसीआर जो की एक प्रकार का न्यूक्लिक एसिड प्रवर्धन परख होता हे जिसका प्रयोग किया जाता हे। यह परख उच्च संवेदनशीलता और उच्च विशिष्टता के साथ एकत्र नमूनों में वायरल आरएनए या न्यूक्लिक एसिड का पता लगा सकता है। जिसके आधार पर किसी रोगी को कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव केस घोषित किया जाता हे|
[पीसीआर टेस्ट के दौरान, वायरल जीनोम के एक टुकड़े को विशिष्ट प्राइमरों का उपयोग करके प्रवर्धित किया जाता है। प्राइमर एक छोटा न्यूक्लिक एसिड अनुक्रम है जो न्यूक्लिक एसिड संश्लेषण के लिए एक प्रारंभिक बिंदु प्रदान करता है। प्राइमर के विशिष्ट सेट प्रत्येक विशेष वायरस का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, एडेनोवायरस जीनोम का एक क्षेत्र जो कि कैप्सिड हेक्सोन प्रोटीन के उत्पादन के लिए कोड का उपयोग मानव एडेनोवायरस जैसे 2, 40 और 41 का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। नावेल कोरोनोवायरस 2019-nCoV के लिए प्राइमर जानकारी, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र,अमेरिका द्वारा अनुसंधान और विकास (जांच के किट निर्माण) के लिए उपलब्ध करवायी जा रही है]
यदि आरआरटी-पीसीआर परिणाम एक या सभी एकत्र नमूनों के सकारात्मक (पॉजिटिव) हैं, तो न्यूक्लिक एसिड को आरआरटी-पीसीआर से निकाला जाता है एवं वायरस सैंपल के पूरे-जीनोम अनुक्रमण (सीक्वेंस) के लिए उपयोग किया जाता है। फिर संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण की तुलना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की जीन-बैंक में उपलब्ध नावेल कोरोनोवायरस 2019-nCoV के संदर्भ जीनोम अनुक्रम के साथ की जाती है।
(ग). अतिरिक्त जांच जैसे सीने का एक्स-रे या अन्य इमेजिंग परीक्षण विस्तार जांच के लिए प्रमुख लक्षणों के आधार पर किए जा सकते हैं।
क्या COVID-19 के लिए एक वैक्सीन, ड्रग (दवाई) या उपचार है?
सरल जवाब अभी तक नहीं है।
WHO के अनुसार, आज तक, COVID-2019 को रोकने या इसके इलाज के लिए कोई टीका और कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं है। हालांकि, यह दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि प्रभावित लोगों को इस बीमारी के लक्षणों से राहत पाने के लिए अच्छे से देखभाल करनी चाहिए और गंभीर बीमारियों वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
COVID-19 के खिलाफ खुद को और दूसरों को बचाने के लिए सबसे प्रभावी तरीके हैं कि आप अपने हाथों को बार-बार साबुन से या सैनीटाइज़र से साफ करें| खांसी या छींक आने की अवस्था में रुमाल / कागज के टिश्यू या कोहनी के मोड़ से ढकें| इसके अलावा, खांसने / छींकने वाले लोगों से कम से कम 1 मीटर (3 फीट) की दूरी बनाए रखें।
मानव शरीर में संक्रमण होने के बाद इस प्रकार के वायरस से लड़ने के लिए दो मेडिकल तरीके प्रमुख रूप से हैं।
सबसे पहले, ऐसी ड्रग्स (दवाई) जो वायरस के स्वयं के प्रोटीन पर हमला कर सकते हैं, उन्हें मानव कोशिका में प्रवेश करने या उनके अंदर होने पर उनकी आनुवंशिक सामग्री की नकल करने जैसे काम करने से रोक सकते हैं।
इस दृष्टिकोण के साथ एक समस्या यह भी है कि (कोरोना) वायरस समय के साथ अपने प्रोटीन के कम्पोजीशन को आनुवंशिक सामग्री में तेजी से होने वाले म्युटेशन के कारण बदलते रहते हैं जसके कारण वर्तमान में टेस्ट हो रही या खोजी जाने वाली दवाई भविष्य में उपयोगी न भी रह सकती हे (इसलिए विज्ञान की खोज लगातार ऐसे कारको के लिए जारी रहती हे एवं अलग अलग नई प्रभावी दवाईओ का निर्माण एक ही प्रकार के वायरस के लिए होता रहता हे)। ड्रग्स (दवाई) और वायरस के बीच की यह दौड़ है, इसलिए आपको हर साल एक नए फ्लू शॉट (इंजेक्शन) की आवश्यकता होती है।
(क्या आपको पता हे आपके क्षेत्र में या सामान्यतया फ्लू सीजन कब चालू होता हे? क्या आपने पिछले वर्ष कोई फ्लू शॉट (इंजेक्शन) लगवाया हे? क्या आपको यह लगता की बिना बीमारी फ्लू शॉट क्यों लगवाउं? जरा सोचिये!)
दूसरा, ऐसी दवा जो कोरोना वायरस के प्रोटीन को मानव कोशिका के प्रोटीन के साथ इंटरेक्शन को रोक या ब्लॉक कर सके| यह एप्रोच होस्ट मशीनरी (मानव कोशिका) को सुरक्षा प्रदान करता हे| यह पहले तरीके (वायरस के प्रोटीन या अनुवांशिक पदार्थ को अपंग करना) से अधिक बेहतर हे, क्यूंकि मानव कोशिका में वायरस की तुलना में बहुत कम म्युटेशन अर्थात अनुवांशिक बदलाव होते हे| अतः ऐसी दवाई ऐसे वायरस के विरुद्ध लम्बे समय तक कारगर रहती हे|
2019 – nCoV कोरोनोवायरस जो COVID-19 रोग का कारण है – पूरी तरह से नया है और नए तरीके से कोशिकाओं पर हमला करता है। हर वायरस अलग है और इसलिए उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली अलग-अलग दवाएं हैं। यही कारण है कि नए कोरोनोवायरस से निपटने के लिए कोई दवा तैयार नहीं थी जो केवल कुछ महीने पहले ही सामने आई थी।
नावेल कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संभावित टीकों और कुछ विशिष्ट दवा उपचारों की जांच एवं खोज चल रही है। 18 मार्च 2020 को डब्ल्यूएचओ ने एक बड़े वैश्विक परीक्षण की घोषणा की, जिसे “सॉलिडैरिटी ट्रायल” नाम दिया गया हे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोई वर्तमान वायरस जनित श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारी के लिए उपयोग में ली जाने वाली दवाई/ टीका इलाज कर सकता है या नहीं। जर्नल “साइंस” में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, डब्ल्यूएचओ मुख्यतः चार प्रकार के टीको/उपचारो पर सॉलिडैरिटी ट्रायल को केंद्रित कर रहा है: (क) प्रायोगिक एंटीवायरल यौगिक जिसे रेमेड्सविर कहा जाता है; (ख) मलेरिया की दवाएं क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन; (ग) एचआईवी जनित बीमारी एड्स के दवाओं, लोपिनवीर और रटनवीर का संयोजन; और (घ) लोपिनवीर और रटनवीर संयोजनके साथ इंटरफेरॉन-बीटा, एक प्रतिरक्षा प्रणाली दूत है जो वायरस को कोशिका में नष्ट करने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा रोग प्रतिरोधक बढ़ाने के एक पुराने तरीके पर भी परिक्षण चल रहे हे, जिसमे इस बीमारी से ठीक या रिकवर हुए व्यक्ति का रक्त (उसके ब्लड ग्रुप के अनुसार) एक सामान्य (बिना बीमार) व्यक्ति में चढ़ाया जाता हे जिससे उसमे इस रोग के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती हे|
ऐतिहासिक रूप से, अधिकांश एंटीवायरल (वायरस जनित रोगो के विरुद्ध) दवाएं चार पहलुओं पर प्रमुख रूप से आधारित होती हैं – (क) वायरस एंजाइम (आरएनए आश्रित आरएनए पोलीमरेज़) की गतिविधि को रोकते हैं -वायरस प्रतिकृति को रोकता है। (ख) एंडोसोम (कोशिका में पायी जाने वाली एक प्रकार की गोलाकार सरंचना) के पीएच में परिवर्तन – वायरस के हमले को रोकता है या धीमा करता है। (ग) प्रोटीएज एंजाइम के कार्यविधि को रोककर – वायरल प्रतिकृति को कम या रोकते हैं और (घ) एंटी इनफ्लेम्मेटरी या सभी चारो का संयोजन।
COVID 19 के लिए टीके और प्रभावी चिकित्सा हेतु विभिन्न स्तरों पर प्रयास चल रहे हैं। अधिक त्वरण रूप से सफलता हेतु कोरोना वायरस जनित रोगियों की डिटेल जांच के डेटा, दुनिया भर में अधिक संख्या में परीक्षणों को साझा करने के लिए सहयोग तथा इलाज के लिए उपलब्ध या बेहतर चिकित्सीय विकल्पों के अधिक यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण (randomized controlled trials) की आवश्यकता है।
#फोटो – ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के द्वारा नावेल कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की प्राप्त छवि, जो COVID-19 का कारण बनता है| यह फोटो अमेरिका में कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति से आइसोलेटेड किये गए वायरस कल्चर का हे| फोटो स्रोत: राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान – एलर्जी और संक्रामक रोगों के राष्ट्रीय संस्थान, संयुक्त राज्य अमेरिका
डिस्क्लेमर – इस लेख का उद्देश्य विभिन्न मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक और मीडिया स्रोतों पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर शीर्षक में वर्णित विषय से संबंधित सर्वोत्तम उपलब्ध जानकारी प्रदान करना है। यह लेख किसी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष लाभ के लिए नहीं लिखा गया है। लेख में वर्णित भूगोल, जीवित और निर्जीव का कोई भी सह-संबंध सिर्फ आकस्मिक है। लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक से सम्बंधित किसी व्यक्ति/समूह संगठन की नीति को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं|