सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब को पांच हिस्सों में बांट दिया है।


Union Budget 2020: वित्त मंत्री सीतारमण ने पेश किया मोदी सरकार 2.0 का दूसरा बजट


निर्मला सीतारमण के पिटारे से टैक्स पेयर्स और नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ा ऐलान हुआ है। सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब को पांच हिस्सों में बांट दिया है।
सरकार के बड़े बदलाव के बाद अब इनकम टैक्स के 6 स्लैब होंगे:-
पहला2.5 से 5 लाख तक की कमाई पर 5% टैक्स
दूसरा-5 से 7.5 लाख तक की कमाई पर 10% टैक्स
तीसरा-* 7.5 से 10 लाख रुपये तक की कमाई पर 15% टैक्स
चौथा-10 से 12.5 लाख तक की कमाई पर 20% टैक्स
पांचवा 12.5 से 15 लाख तक की कमाई पर 25% टैक्स
छठा-15 लाख और अधिक से ऊपर की कमाई पर 30% टैक्स
हालांकि, नया बदलाव शर्तों के साथ है। इसके लिए आपको निवेश पर मिलने वाले छूट का लाभ छोड़ना होगा। अगर आप निवेश में छूट लेते हैं, तो टैक्स की पुरानी दर ही मान्य होगी। कुल मिलाकर 15 लाख रुपये कमाने वाले को 78 हजार रुपये का फायदा संभावित है।
टैक्‍स को लेकर किसी को परेशान नहीं किया जाएगा, टैक्‍स पेयर चार्टर बनेगा
वित्‍त मंत्री ने कहा कि टैक्‍स को लेकर किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। कानून के तहत टैक्‍स पेयर चार्टर लाया जाएगा। लोगों के मन से टैक्‍स को लेकर डर खत्‍म किया जाएगा। टैक्‍स कलेक्‍शन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्‍तेमाल किया जाएगा. कुल मिलकार सरकार करदाता को उत्‍पीड़न से बचाएगी। वहीं, टैक्‍स की चोरी करने वालों के लिए कानून सख्‍त किया जाएगा।
पिछले बजट में सरकार ने करदाताओं को 2.5 लाख की टैक्‍स री-बेट दी थी
निर्मला सीतारमण ने बताया कि वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान 60 लाख नए टैक्‍सपेयर जुड़े हैं। इस दौरान 40 करोड़ से ज्‍यादा इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल किए गए। पिछले बजट में सरकार ने 2.5 लाख रुपये तक की आय को टैक्‍स फ्री रखा था। वहीं, 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5 फीसदी टैक्‍स निर्धारित किया था। इसके अलावा 5 लाख से 10 लाख तक की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख से ज्‍यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्‍स की घोषणा की गई थी।
कॉरपोरे टैक्‍स में कटौती के बाद बढ़ी इनकम टैक्‍स में छूट की मांग
कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद पर्सनल इनकम टैक्स में छूट की मांग तेज होती रही है। इकनॉमी में डिमांड और कंजप्शन बढ़ाने के लिए पर्सनल इनकम टैक्स में छूट बेहद जरूरी मानी जा रही है। एक्सपर्ट्स की राय है कि आम टैक्सपेयर्स को छूट देकर इकनॉमी में डिमांड बढ़ाई जा सकती है। पिछले कई वर्षों से इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की जा रही है।