खेती-किसानी: लेखपाल नहीं अब अफसर देखेंगे उपज
लखनऊ। कार्यालयों में फाइलें पलटने के साथ ही कृषि निदेशालय के अफसर अब जिलों में जाकर फसलों का निरीक्षण करेंगे। राजस्वकर्मियों के साथ उन्हें भी गांव-गांव जाकर क्रॉप कटिंग का ब्योरा एकत्र करना होगा। निदेशालय के अफसर फसल कटने के तीन दिन के भीतर उत्पादकता का विश्वसनीय ब्यौरा निदेशक सांख्यिकी को सौंपेंगे। कृषि विभाग के अफसरों से सामंजस्य स्थापित कर काम करने के लिए प्रदेश के सभी *मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
प्रदेश में फसलों की उत्पादकता और नुकसान का आंकलन अब तक जिले के राजस्व कर्मी ही करते हैं। तहसीलदार व लेखपाल क्रॉप कटिंग के दौरान फसलों की उत्पादकता और आपदा से हुए नुकसान का ब्यौरा एकत्र कर उच्चाधिकारियों को भेजते हैं। डीएम और मंडलायुक्त उस रिपोर्ट को शासन में भेजते हैं। प्रमुख सचिव कृषि ने अब बीमित किसानों की फसलों का आंकलन करने के लिए कृषि निदेशालय के अफसरों को भी इस कार्य में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में यह व्यवस्था पहली बार लागू की जा रही है। प्रमुख सचिव के निर्देश पर कृषि विभाग के निदेशक सोराज सिंह ने फसलों की उत्पादकता के विश्वसनीय आंकड़ें एकत्र करने के लिए कृषि निदेशालय के अफसरों को यह नई जिम्मेदारी सौंप दी है। कृषि विभाग के अफसर भी जिलों के राजस्वकर्मियों की तर्ज पर फसल के उत्पादन व नुकसान का ब्यौरा तैयार कर तीन दिन के भीतर निदेशक सांख्यिकी एवं फसल बीमा को सौंपेंगे। उसी के आधार पर फसल के फायदे व नुकसान का आंकलन किया जाएगा।
*दो-दो जिलों की जिम्मेदारी संभालेंगे 25 अफसर*
कृषि निदेशालय के 25 अफसरों को बीमित फसल के नुकसान व गुणवत्ता का आंकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रबी, खरीफ व जायद की फसलों का स्थलीय निरीक्षण करने के लिए कृषि निदेशालय के अफसरों को जिले आवंटित कर दिए गए हैं। इस व्यवस्था की निगरानी के लिए कृषि निदेशालय के वरिष्ठ अर्थशास्त्री (सांख्यिकी) केपी सिंह को नोडल अधिकारी बनाया गया है। निरीक्षण करने वाले अधिकारी क्रॉप कटिंग की निगरानी की तिथियों का ब्योरा नोडल अधिकारी या जिलों के भू-लेख अनुभाग में कार्यरत कृषि सांख्यिकी वर्ग के अधिकारी से ले सकेंगे।
*इस व्यवस्था से किसानों को होगा यह फायदा*
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कई अफसर निदेशालय में बैठकर फाइलों में ही खेती-किसानी का ब्यौरा लेते रहते हैं। लिहाजा वे
खेती और किसान की समस्याओं की जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हो पाते। इसके अलावा राजस्व विभाग के कर्मचारियों की ओर से तैयार की गई सूची में कई बार अनियमितता की शिकायतें भी मिलती हैं। नई व्यवस्था लागू होने से अब हर फसल की दो-दो सूची तैयार होंगी। राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अफसर खेती का निरीक्षण कर अलग-अलग सूची तैयार करेंगे। इसके अलावा जिलों की निगरानी के बाद कृषि विभाग के अफसर वहां के किसानों की समस्या जानकर उसे दूर करवाने में भी मददगार साबित होंगे। इससे किसानों को भी नुकसान होने पर फसल बीमा का लाभ जल्दी दिलवाया जा सकेगा।