अंग्रेजों की राह पर योगी सरकार: यूपी में लागू होगा कमिशनर सिस्टम, पुलिस को मिलेगी दमनकारी ताकत !

अंग्रेजों की राह पर योगी सरकार: यूपी में लागू होगा कमिशनर सिस्टम, पुलिस को मिलेगी दमनकारी ताकत !


लखनऊ : भारत में संविधान संसोधन करके कई नए कानून लाये जा रहे हैं, वहीँ कुछ कानून ब्रिटिश सरकार यानी अंग्रेजों वाले भी लागू होने जा रहे हैं जिनके दम पर अंग्रेजों ने अपनी ब्रिटिश पुलिस के बल पर भारतीयों पर अत्याचार करते हुए उनके अधिकारों का दमन किया था । बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत के समय वाले कमिश्नर सिस्टम को प्रदेश में लागू करने का मन बना लिया है और जल्द ही यह सिस्टम भारत के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में लागू होने जा रहा है।_
यूपी डीजीपी ओ पी सिंह ने लखनऊ व नोएडा में कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर कहा कि हम कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। हालाँकि ये सरकार का फैसला है और इस पर सरकार ही निर्णय लेगी। बृहस्पतिवार देर रात तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी ओम प्रकाश सिंह और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के साथ मंथन किया। सूत्रों का कहना है कि सीएम इस व्यवस्था को लागू करने को तैयार हैं। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द इसका प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जाएगा या फिर बाई सर्कुलर के जरिए इसे लागू किया जा सकता है।_
_गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को किए गए पुलिस विभाग के तबादलों में लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी को गाजियाबाद का एसएसपी बनाया गया है। वहीं, नोएडा के एसएसपी को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन उनकी जगह किसी को तैनाती नहीं दी गई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जल्द ही यह प्रणाली लखनऊ और नॉएडा जैसे दो बड़े महानगरों में लागू हो सकती है।_


अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों के दमन के लिए भारत में कमिश्नर प्रणाली को शुरू किया था !


_भारत में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों में पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है। इसकी शुरूआत अंग्रेजों ने की थी, तब पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत के कोलकाता (कलकत्ता), मुंबई (बॉम्बे) और चेन्नई (मद्रास) में हुआ करती थी। इन शहरों को तब प्रेसीडेंसी सिटी कहा जाता था, बाद में उन्हें महानगरों रूप में जाना जाने लगा।_
_पूर्व आइएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद कहते हैं, भारत में कलेक्टर के अधीन व्यवस्था ही ठीक है। अपनी दलील को पुख्ता करने के लिए वे दिल्ली के रामलीला मैदान की घटना का जिक्र करते हुए बोले कि असीमित अधिकारों से अधिकारी निरंकुश हो जाते हैं और फिर दिल्ली की तरह महिलाओं, बच्चों और सोते लोगों पर लाठियां बरसाने की घटनाएं जन्म लेती हैं।_


*पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर, हो सकता है IAS और IPS के बीच टकराव !*


_भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं। इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है। रासुका लगाने, जिलाबदर करने, संवेदनशील हालातों में फायरिंग की इजाजत जैसे अधिकार जिला कलेक्टर यानी एक IAS अधिकारी के पास होते हैं। लेकिन कमिश्नरी लागू होने के बाद ये तमाम शक्तियां पुलिस कमिश्नर को हस्तांतरित हो जाएगी और कलेक्टर (IAS) की भूमिका महज एक राजस्व अधिकारी की रह जाएगी। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।_
_दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां मिलती है। इसी की वजह से पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के कई महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं।_
_पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है, यह प्रणाली अधिकतर महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं, CRPC के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है।_


पुलिस कमिश्नर प्रणाली में महानगर को कई जोन में बांट दिया जाता है 


police कमिश्नरी प्रणाली में कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है, हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन को डील करता है, सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं, जो 2 से चार थानों को डील करते हैं। गौरतलब है कि कमिश्नर के नीचे वाले पुलिस अधिकारीयों के काम सारे वहीँ हैं, बस नाम में बदलाव है जैसे एसएसपी को डीसीपी और सीओ को एसीपी बोला जाने लगता है।_

आर्म्स एक्ट के मामले भी पुलिस कमिश्नर डील करते हैं, जो लोग हथियार का लाइसेंस लेने के लिए अवादेन करते हैं, उसके आवंटन का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है। पुलिस कमिश्नर की सहायता के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भी तैनात किए जाते हैं।_