विपक्षी दलों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून और उसको लेकर विरोध कर रहे छात्रों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के मुद्दे पर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर । विपक्षी दलों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून और उसको लेकर विरोध कर रहे छात्रों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के मुद्दे पर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 12 राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे, जिन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वह सरकार को इस एक्ट को वापस लेने की सलाह दें।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार शाम चार बजे राष्ट्रपति से मिलने पहुंचा। करीब सवा घंटे की मुलाकात के बाद सोनिया सहित अन्य दलों के नेताओं ने मीडिया से बातचीत की।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में नागरिकता संशोधन अधिनियम और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर की गई पुलिस की कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि देशभर में इस कानून के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। छात्र इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली में ऐसे ही लोकतांत्रिक प्रदर्शन में पुलिस ने महिला छात्रों के खिलाफ निंदनीय कार्रवाई की।
उन्होंने कहा, “नागरिकता संशोधन कानून देश के लोगों और विपक्ष को स्वीकार नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 19 राजनीतिक दलों की ओर से राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन मौसम खराब होने की वजह से कुछ लोग पहुंच नहीं पाये।
राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार जल्दबाजी से काम कर रही है। उनके सहयोगियों और सलाहकारों ने सरकार को इस तरह के कानून लाने से मना किया था। उन्हें बताया गया था कि कानून देश हित में नहीं होगा। यह देश के संविधान के खिलाफ है। इसके बावजूद सरकार ने अपनी संख्या के आधार पर इसे पारित करा लिया। लोगों की परवाह नहीं की गई और यह कानून बनाया गया।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रॉयन ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से सबसे ज्यादा गरीब तबका प्रभावित हो रहा है। सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।
मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार देश के संविधान को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह सरकार को ऐसा नहीं करने दें और उसे इस कानून को वापस लेने की सलाह दें।
समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि इस कानून के बाद देश में गंभीर हालात पैदा हो गए हैं। लोगों के मन में भय का माहौल है और देश विघटन की ओर जा रहा है। इस भय के माहौल के क्या परिणाम होते हैं यह इतिहास ने  देखा है। देश की शांति और एकता के लिए कानून को वापिस लिया जाना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में द्रमुक सांसद टीआर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी शामिल थे।