देखिए और अगर संवेदना है तो महसूस कीजिए! ये उन्नाव की उस बेटी का घर है जो साल भर से अपनी इज़्ज़त के लिए दबंगो से लड़ रही थी.

देखिए और अगर संवेदना है तो महसूस कीजिए!


ये उन्नाव की उस बेटी का घर है जो साल भर से अपनी इज़्ज़त के लिए दबंगो से लड़ रही थी. सोचिए इस घर की बेटी किस तरह जूझी होगी उस पुलिस से जिसने उसका मुकदमा नहीं लिखा, कैसे वो ला पायी होगी एफ़आईआर के लिए अदालती आदेश. 
क्या गजब का हौसला था उसमे जो अब अपने गुनाहगारो के बाहर आने पर फिर चल पड़ी थी संघर्ष की राह पर...
अकेले, बिल्कुल अकेले. उसके हौसले से नहीं लड़ सकते थे तो जिंदा फूंक दिया हैवानो ने. वो दामिनी जलता बदन लेकर एक किलोमीटर तक भागी. उसी हालत में खुद पुलिस को फोन किया. जिजीविशा ऐसी कि आखिरी पल तक यही कहती रही कि मुझे जीना है, मुझे उन्हें फांसी पर लटके हुए देखना है.सोचिए उसकी आत्मा कितने गहरे आहत हुई होगी, किस जलालत का सामना उसने किया होगा. ध्यान से देखिए आंगन में एक तुलसी भी है...
अब तो शायद ये भी सूख जाए !!