शासन को बरगलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे अधिकारी

शासन को बरगलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे अधिकारी                                                                       
 वाराणसी |प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दो अक्टूबर को पूरे देश को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया, मगर उनके बनारस में ही बड़ी संख्या में शौचालय अधूरे हैं। कई लोगों के यहां शौचालय का निर्माण ही नहीं हुआ। मगर, अफसरों ने वाहवाही लूटने के लिए शासन को फर्जी रिपोर्ट भेज दी। रिपोर्ट के आधार पर शासन ने जिले के कुल 1332 गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन सच्चाई कोसों दूर है।
 जबकि अब भी खुले में जा रहे शौच कई गांवों में शौचालयों की कहीं दीवार खड़ी है तो कहीं गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है। शौचालयों में दरवाजा व छत नहीं है। जिससे लोग खुले में शौच करने के लिए विवश हैं। अधूरे शौचालय फाइलों में पूरा होने का दावा करने वाले अफसरों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रधान व सेक्रेटरी के स्तर पर शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। अधूरे निर्माण की शिकायत पर जांचकर कार्रवाई की जाती है|
पिंडरा ब्लॉक के गंगापुर गांव में एक-दो नहीं बल्कि कई लोगों के शौचालय अधूरे हैं। इस गाव के अकील अहमद ने बताया कि शौचालय बनाने के लिए 700 ईंट संग दरवाजा और गमला मिला था। दीवार बन रही थी कि तभी प्रधान आए और दरवाजा व गमला उठा ले गए। जिससे शौचालय का काम पूरा नहीं हो सका। इसी गाव के नंदू पटेल, सबरुन्निशा, माकिर हाशमी, मुन्नीनिशा, नूरजहा, वकील हाशमी और सलिबुननिशा का कहना है कि ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ने छह माह पूर्व गड्ढा खोदने को बोला था। लोगों ने गड्ढे की खोदाई की, जो बारिश होने के साथ पट भी गया।गावों में ओडीएफ पर तीन अरब 11 करोड़ 39 लाख 76 हजार रुपये खर्च हुए।
शौचालय निर्माण में अनियमितता का मामला हरहुआ ब्लाक के राजापुर गाव में उजागर हुआ था। करीब ढाई लाख रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया था। जाच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। ग्राम प्रधान को बर्खास्त किया गया। इसी प्रकार विकास खंड चिरईगांव के खालिसपुर ग्रामसभा में 38 शौचालयों का बैंक से पैसा निकालने के बाद भी नहीं बनाने पर डीएम ने जांच में दोषी मिले प्रधान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है। वित्तीय अनियमितता में जक्खिनी के ग्राम प्रधान को नोटिस जारी की गई है| जिस पर डीपीआरओ शाश्वत आनंद सिंह   का कहना है की  2012 के सर्वे और बने शौचालय में कोई अनियमितता नहीं है। वर्ष  2018 व 2019 में सर्वे के बाद शौचालय निर्माण में कुछ जगह वित्तीय अनियमितता सामने आ रही है। शिकायत मिलने पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही। साथ में शौचालयों का सत्यापन कराया जा रहा है।