2022 तक भारत से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने की क्या योजना है?

2022 तक भारत से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने की क्या योजना है?
हम सब जानते हैं कि प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो कभी खत्म नहीं होता है यानी हजारों सालों तक ज्यों का त्यों रहता है. विज्ञान की तरक्की के साथ प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि मानव ने प्लास्टिक का निर्माण अपनी सुविधा के लिए किया था परन्तु अब ये ही मानव जीवन के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी खतरा बन गया है.


प्लास्टिक का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा महासागरों में फैला हुआ है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि 2022 तक किस प्रकार प्लास्टिक प्रदूष्ण को खत्म किया जा सकता है, इसके लिए क्या-क्या घोषणा की गई है.


प्लास्टिक क्या है?


प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसे विभिन्न आकारों में ढाला जा सकता है. प्लास्टिक शब्द यूनानी 'प्लैतिकोस' से बना है जिसका अर्थ है किसी भी आकार में ढाल देना. प्लास्टिक अच्छे प्रतिरोधी होते हैं क्योंकि बिजली का उनपर कोई प्रभाव नहीं होता है और पॉलीमर से बने होते हैं. 1856 में पहला मानव निर्मित प्लास्टिक ब्रिटिश रसायनज्ञ अलेक्जेंडर पाक्स द्वारा बनाया गया था. 1907 में आधुनिक प्लास्टिक बैकेलाइट का आविष्कार हुआ था.


प्लास्टिक कितने प्रकार के होते हैं:


प्राक्रतिक प्लास्टिक (Natural Plastic): वह प्लास्टिक है जो गर्म किए जाने पर मुलायम और ठंडा किए जाने पर कठोर हो जाती है. जैसे: लाख


क्रत्रिम प्लास्टिक (Artificial Plastic): यह वह प्लास्टिक है जिसे रसायनिक तरीके से तैयार किया जाता है. यह दो प्रकार की होती है:


थर्मो प्लास्टिक (Thermo Plastic) : इस तरह की प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम और ठंडा करने पर कठोर हो जाती है. कार्बनिक यौगिक के अंत में एक द्विबन्ध के कारण, उनके योगशील बहुलीकरण से थर्मोप्लास्टिक बनती है. जैसे पॉलीएथिलीन (Polyethylene), पॉली विनाइल क्लोराइड (PVC), पॉली स्टाइरीन (Polystyrene), नायलॉन (Nylon) टेफ्लॉन (Teflon) इत्यादि.


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