उत्तर प्रदेश सरकर ने पोर्टल बनाया हुआ है, जिसका नाम 'जनसुनवाई' पोर्टल है। इसका उद्देश्य यह है कि उत्तर प्रदेश के लोग अपनी शिकायत अथवा सुझाव इस पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज करें और उसे सम्बंधित अधिकारी व सम्बंधित विभाग को भेजकर उसका निस्‍तारण किया जाय।

#जनसुनवाई_पोर्टल


उत्तर प्रदेश सरकर ने पोर्टल बनाया हुआ है, जिसका नाम 'जनसुनवाई' पोर्टल है। इसका उद्देश्य यह है कि उत्तर प्रदेश के लोग अपनी शिकायत अथवा सुझाव इस पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज करें और उसे सम्बंधित अधिकारी व सम्बंधित विभाग को भेजकर उसका निस्‍तारण किया जाय।


पिछली सरकार में तो इस पोर्टल पर मजाक चल ही रहा था। पर इस सरकार से लोगों की उम्मीदें कुछ ज्यादा ही बढ़ गयीं। मुख्यमत्री योगी भी लोगों की अपेछाओं पर खरा उतरने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों सभी को निर्देश दिए हैं कि कोई भी फाइल किसी भी टेबल पर तीन दिन से अधिक नहीं रुकनी चहिये। यह होने भी लगा। परन्तु अफसरशाही और लालफीता शाही को कौन दुरुस्त करे? यह आसान काम नहीं है। आखिर पुरानी व्यवस्थाओं में रचे बसे लोग इतनी जल्दी सुधरने का नाम तो ले नहीं सकते।


जितनी भी जनसुनवाई पोर्टल पर जनता द्वारा शिकायत भेजी जाती है, अफसरों द्वारा उनमें कमी निकालने का भरपूर प्रयास किया जाता है। जनता द्वारा भेजा गया आवेदन बस जनता से अधिकारी के आॅफिस और अधिकारी के आॅफिस से वापस जनता के पास निस्तारित लिखकर भेजा जा रहा है।


निस्तारित का वास्तविक अर्थ यह होता है कि समस्‍या का समाधान हो चुका है। पर यहाँ (जनसुनवाई पोर्टल पर) निस्तारित का अर्थ है कि अधिकारी या सम्बंधित विभाग द्वारा उस आवेदन पर कोई न कोई बहाना बनाकर वापस जस का तस आवेदनकर्ता के पास भेज दिया गया है। कई बार तो आवेदन केवल सरसरी निगाह से ही पढ़े जाते हैं और उसमें क्या लिखा है यह भी सम्बंधित विभाग नहीं जानता। कुछ भी उल्टा-सीधा तर्क देकर वापस आवेदनकर्ता के पास निस्तारित लिखकर भेज दिया जाता है।


मैंने जनसुनवाई पोर्टल पर एक विद्युत समस्या के लिए आवेदन किया। पर वहां से कुछ समय बाद निस्तारित लिखकर वापस आवेदन भेज दिया गया है, लेकिन उचित निस्तारण नहीं हुआ उसमें केवल तर्क पेश किया गया है, जिससे समस्या का कोई हल नहीं होता।


सरकार को भी इस प्रकार की कोई न कोई व्यवस्था बनानी होगी, तभी जाकर सुशासन के लक्ष्‍य को हासिल किया जा सकेगा। अन्यथा यदि ऐसा ही चलता रहा, तो जिस प्रकार से आज “जनसुनवाई” पोर्टल और ई-मेल पर जनता का समय और उम्मीद दोनों बर्बाद हो रही है, इस प्रकार तो जनसुनवाई पोर्टल और ई-मेल द्वारा की जाने वाली शिकायत के तंत्र से लोगों का विश्‍वास ही उठ जाएगा।


प्रदेश बहुत बड़ा है और अधिकारी इतनी जल्दी संवेदनशील होने वाले नहीं हैं। जनसुनवाई और प्रदेश की जनता की समस्‍या का निवारण केवल अधिकारियों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इस कार्य में सम्बंधित मंन्त्रालय या अन्य कोई सार्थक व्यवस्था की तत्काल आवश्यकता है। अतः मुख्यमंत्री को चाहिए की हर जनसुनवाई पर आवेदनकर्ता के पास वापस फ़ोन द्वारा यह पूछा जाय कि उसकी समस्‍या हल हुई या नहीं? इन कदमों से जनता का भरोसा जीतने में सरकार को मदद मिलेगी।